religious tourism : पर्यटन के लिए 15 एकड़ में विकसित होगा चंपारण्य धाम

धार्मिक पर्यटन : स्वदेश दर्शन 2.0 से संवरेगा तीर्थ चम्पारण्य धाम

यज्ञकुंड का होगा सौंदर्यीकरण, कन्वेंशन सेंटर और कैफेटेरिया की मिलेगी सुविधा

पर्यटन की संभावनाओं को देखते हुए चंपारण्य धाम को 15 एकड़ में विकसित करने की तैयारियां

शहर सत्ता\रायपुर| रायपुर से 50 किलोमीटर दूर तीर्थ स्थल चंपारण्य धाम छत्तीसगढ का धार्मिक एवं स्मणीय स्थल है। इस पवित्र धार्मिक स्थल को संवारने के लिए स्वदेश दर्शन 2.0 से संवारने के लिए छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल ने भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा है। इसके तहत महाप्रभु श्री वल्लभाचार्य की मूर्ति का निर्माण किया जाएगा। साथ ही म्यूजियम का भी निर्माण होगा।

खास बात यह है कि चंपारण्य धाम को 15 एकड़ में संवारा जाएगा। यहां पर पर्यटन की असीम संभावनाओं को देखते हुए यज्ञकुंड का सौंदर्यीकरण किया जाएगा। वहां पर कन्वेंशन सेंटर भी बनाया जाएगा। एक बड़ा हॉल बनाया जाएगा जहां पर भागवत कथा सत्संग, प्रवचन एवं अन्य बड़े आयोजन किए जा सकेंगे। यहां पर पर्यटकों के लिए कैफेटेरिया की सुविधा भी मिलेगी।

धार्मिक पर्यटन क्षेत्र को विकसित करने के साथ रोजगार के अवसर भी तैयार किए जाएंगे। जहां पर छोटी-छोटी दुकानें बनाई जाएगी। वहां रोजगार शुरू करने के लिए दुकानों का आवंटन किया जाएगा। चंपारण्य धाम के तालाब एरिया को भी विकसित किया जाएगा। पार्किंग एरिया को भी डेवलप किया जाएगा।

 

महाप्रभु श्री वल्लभाचार्य की मूर्ति और म्यूजियम का होगा निर्माण

यहां चम्पेश्वर महादेव का मंदिर तथा महाप्रभु वल्लभाचार्य का प्राकट्य स्थल होने से यहां प्रतिदिन दूर-दूर से सैलानी आते हैं। महाप्रभु वल्लभाचार्य के अनुयायी वैसे तो पूरे देश में फैले हैं, लेकिन ज्यादातर गुजरात व महाराष्ट्र में है। यह माना जाता है कि वल्लभाचार्य के माता-पिता वर्षों पहले बनारस से पदयात्रा करते हुए चम्पेश्वर धाम में आए थे, तब वल्लभाचार्य जी का यहां जन्म हुआ था।

विदेशों में जाकर बसे लोग भी जो पुष्टि संप्रदाय से ताल्लुक रखते हैं उनका भी चंपारण्य से नियमित सम्पर्क बना रहता है। चम्पेश्वर महादेव के मंदिर में बहुत ही प्राचीन शिवलिंग है जिसमें भगवान शंकर, माता पार्वती व गणेश जी के स्वरूप है। यह पंच कोशी यात्रा में शामिल है जहां तीर्थ यात्री यात्रा करते हुए आते है ।

बच्चों के खेलने की सुविधा 

चंपारण्य धाम में प्ले जोन का निर्माण किया जाएगा। पेयजल की सुविधा, पब्लिक टॉयलेट समेत कई सुविधाओं को विकसित किया जाएगा। पर्यटकों के लिए गार्डन बनाया जाएगा। जहां पर पर्यटकों को एक बेहतर और अनुकूल वातावरण मिल सकेगा। मंगला दर्शन का समय सुबह 8 से 9 बजे निर्धारित किया गया है। इसके अलावा श्रृंगार दर्शन सुबह 10.15 से 10.30 बजे तक, राजभोज दर्शन दोपहर 12.15 से 01 बजे तक किया जा सकता है। वहीं उत्थापन दर्शन शाम 4.45 से 5 बजे तक एवं शयन दर्शन 7.15 से 8 बजे तक निर्धारित किया गया है।

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