खफा हैं खीरबाज…
गुलाबी ठंड का ऐहसास, गर्मागर्म सुस्वादु भोजन का लुत्फ उठाते मजेदार बातों के बीच वो सभी चटखारे ले रहे थे जिन्हें 15 साल बाद वो सब नसीब हुआ जिसके लिए उन्होंने सोचा नहीं था। इनमें निगम, मंडल, आयोग के वो चुनिंदा खुशनसीब भी थे। एक धड़ा वो भी था जो बकाया पदों के लिए सपने संजोए बैठे हैं। ऐसे में वेटिंग इन पोस्टिंग वाले ने अपनी खीज कुछ यूं निकाली की सभी समझ गए इसका पत्ता कट हो गया है। गले तक खा लेने के बाद जब मीठे की तलाश में खफा खीरबाज खीर लेने पहुंचा तो उसे चुनिंदा खुशनसीबों में से एक टकरा गया। बस, फिर क्या था तपाक से खीर अपनी प्लेट में उंडेलते हुए खफा खीरबाज ने साथी से कहा लो यार जब गधे खीर खा सकते हैं तो हम क्यों नहीं? नए साल से पहले बकाया पद भी भर जाएंगे तब किसी और मंत्री के यहां की दावत में कितने खीरबाज खफा होंगे यह देखना होगा।
डिनर पॉलिटिक्स…
कांग्रेस समन्वय समिति की बैठक शनिवार की शाम खत्म हुई। बैठक खत्म होते ही शुरु हुई डिनल पॉलिटिक्स ! बैठक मामूली से नाश्ते से शुरु हुई और अचानक ही प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया ने सभी को मंत्री सिंहदेव के यहां रात्रि भोज की दावत दे दिए। मजाल है फिर कोई कह पाता नहीं मुझे घर जाना है, सभी वरिष्ठ प्रदेश प्रभारी संग सिंहदेव के बंगले पहुंच गए। बंगले में पहले से ही सब तैयारी कर ली गई थी। आखिर महाराजा साहब की तरफ से दावत थी तो भीड़ जुटना लाजमी था। प्रदेश प्रभारी और मुख्यमंत्री के पहुंचने की खबर सोने पे सुहागा थी। पार्टी के 30 दिग्गज की मौजूदगी में लगा एक बार परिवार को फिर प्रदेश प्रभारी ने एकजुट कर दिया है। वैसे भी खाने में ऐसी तासीर होती है कि वो मुंह से पेट में उतरता है और दिल जीत लेता है। एक ने चुटकी लेते हुए कहा पहले 34 थे अब 30 हैं।
नई परिपाटी शुरु….
सूबे के सबसे कामयाब प्रदेश प्रभारी की कोशिशें ही कही जाएं की सब को वो एक साथ ले ही आते हैं। इसके साथ ही मंत्री सिंहदेव की डिनर पार्टी से एक नई परिपाटी का आगाज हो गया है। अब ऐसी दावतें एकता, मजबूत रिश्तों के अलावा गिला-शिकवा दूर करने के लिए बेहतर माना जाने लगा है। शनिवार की पार्टी का खुशहाल नतीजा है कि शिवरीनारायण के कार्यक्रम में शिरकत करने हेलिकॉप्टर से वो भी साथ गए जो दूर-दूर दिखने लगे थे। मिलकर खाने-खिलाने की खुशनुमा रस्म यूं तो पुरानी है पर अब इस तरह के खर्च की जद में सभी मंत्री हैं। वरिष्ठ कांग्रेसी ने साफ कर दिया कि अब महाराज जैसी डिनर पार्टी सरकार के सभी मंत्री बारी-बारी करेंगे। अब यह सुनकर कुछ सकपका गए हैं, क्योंकि महाराजा खाने- खिलाने के लिए जाने जाते हैं, लेकिन वो यह सब कैसे कराएंगे, अभी तो मंत्री बनें हैं।
नर्क में स्वागत है…
फोर्स में जब तक बैरक में हैं तब तक स्वर्ग है, सर्चिग में मीलों पैदल चलने के बाद ही नर्क का ऐहसास होने लगता है। हालाकि निर्भीक जवानों के लिए नर्क और स्वर्ग क्या उसे तो अपना कर्तव्य निभाना है। लेकिन एसटीएफ का एक आला अधिकारी ऐसा है कि उसे अपना घर भी नर्क लगता है। शायद, इसलिए भिलाई के सरकारी बंगले में साहब ने प्रवेश व्दार में ही मोटे अक्षरों में लिखवाया है… वेलक टू हेल..! एसटीएफ के साहब यूं तो आर्मी रिटर्न हैं और डील-डौल में भी यम जैसा ही है। मुफ्त सेवा में भी गजब का जज्बा तो तारीफ के काबिल है ही, उनकी खान-पान की भी मातहतों में काफी चर्चा है। उस पर उनकी बड़ी सी मुंडी, चौड़े-चौड़े पंजों और बिना माईक के भी बुलंद आवाज से महकमें के लोगों की रूहें कांप उठती हैं। ऐसे व्यक्तित्व के धनी एसटीएफ के आला साहब के घर में दिन को तो लोग चल भी देते हैं, लेकिन रात को दरवाजे पर लिखी वेलकम टू हेल वाली ईबारत और अंधेरे में डूबे बंगले में रात को कोई नहीं जाना चाहता।