
शहर सत्ता / रायपुर। छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक (DGP) अशोक जुनेजा का कार्यकाल दो दिन बाद यानी 3 फरवरी को समाप्त हो रहा है। इसके पहले ही राज्य सरकार ने पुलिस महानिदेशक के नियुक्ति की तैयारियां शुरू कर दी है। सरकार ने तीन नामों का पैनल बनाकर संघ लोक सेवा आयोग को सौपा है। लेकिन अब तक आयोग में DPC की बैठक नहीं हुई है, जिसकी वज़ह से फिलहाल सूबे में पूर्णकालिक पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति लटक सकती है। अगर अगले दो दिनों में बैठक होती है तभी छत्तीसगढ़ में पूर्ण कलिक डीजी की नियुक्ति संभव है, ऐसा नहीं होने की स्थिति में या तो जुनेजा का कार्यकाल एक बार फिर बढ़ाया जा सकता है या फिर प्रभारी डीजीपी की नियुक्ति की जा सकती है।
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गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में पुलिस महकमे के मुखिया अशोक जुनेजा को 11 नवंबर 2021 को छत्तीसगढ़ का प्रभारी DGP नियुक्त किया गया था। यूपीएससी की मंजूरी के बाद 5 अगस्त 2022 को उन्हें दो साल के लिए पूर्णकालिक DGP बनाया गया। हालंकि 4 अगस्त 2024 को सेवानिवृत्ति से एक दिन पहले ही 3 अगस्त को भारत सरकार ने उन्हें छह महीने का सेवा विस्तार दिया, जो 3 फरवरी को समाप्त हो रहा है। यदि अब उन्हें सेवा विस्तार नहीं मिलता है, तो राज्य सरकार को नए प्रभारी डीजीपी की नियुक्ति करनी होगी। यदि प्रभारी की नियुक्ति हुई तो अरुण देव गौतम अगले DGP हो सकते है।
इधर छत्तीसगढ़ सरकार ने नए डीजीपी की नियुक्ति के लिए क़वायद पिछले साल ही शुरू कर दी थी। 5 दिसंबर 2024 को सूबे के तीन सीनियर आईपीएस अफसर पवनदेव, अरुण देव गौतम, और हिमांशु गुप्ता के नामों का एक पैनल संघ लोक सेवा आयोग को भेजा जा चूका था। चूंकि डीजीपी का सेवा विस्तार समाप्त होने में केवल दो दिन और बचे हैं और अभी तक संघ लोक सेवा आयोग में DPC की बैठक नहीं हुई है, ऐसे में 3 फरवरी तक UPSC से पैनल आना संभव नहीं लग रहा है है।
DGP की रेस जीपी सिंह की हुई एंट्री
इधर जीपी सिंह की IPS में वापसी के बाद उन्होंने भी आयोग के समक्ष अपना अभ्यावेदन प्रस्तुत किया, सिंह 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी है। आयोग की तरफ से इस मामलें में छत्तीसगढ़ सरकार से जानकारी मांगी गई थी, जिसके जवाब में राज्य सरकार ने ये कहा है कि जीपी सिंह के खिलाफ अब कोई मामला लंबित नहीं है। सरकार के इस जवाब के बाद ऐसे कयास लगाए जा रहे है कि आयोग डीजीपी के पैनल में जीपी सिंह का नाम भी शामिल कर सकता है।
जुनेजा को मिल सकता है एक्सटेंशन
छतीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा को एक बार फिर एक्सटेंशन दिए जाने के लिए पीछे सूबे के नक्सलवाद पर कड़े प्रहार को बड़ी वज़ह मानी जा रही है। पुलिस मुख्यालय के उच्चपदस्थ सूत्रों कि मानें तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मार्च 2026 तक नक्सलवाद को समाप्त करने का लक्ष्य रखा है। जुनेजा के नेतृत्व में जवान तेज़ी से नक्सलियों पर हावी हो रहे है, इस लिहाज़ से उन्हें एक्स्टेंट किया जा सकता है। हालांकि कुछ अधिकारियों का मानना है कि मार्च 2026 में अभी एक साल से अधिक समय बचा है, इसलिए अब सेवा विस्तार नहीं मिलना चाहिए। फिर भी पुलिस मुख्यालय के कुछ अधिकारी दावा कर रहे हैं कि DGP को एक साल का सेवा विस्तार मिल सकता है।
तो अरुण देव गौतम होंगे प्रभारी DGP
अगर केंद्र की तरफ से अशोक जुनेजा को सेवा विस्तार नहीं मिलता है, तो राज्य सरकार को नए प्रभारी DGP की नियुक्ति करनी होगी। वरिष्ठता के अनुसार, पवनदेव पहले स्थान पर हैं और उसके बाद अरुण देव गौतम। साय सरकार अगर वरिष्ठता के मुताबिक प्रभारी डीजपी की नियुक्त करती है, तो अरुण देव गौतम का पलड़ा भारी लग रहा है। दरअसल 3 अगस्त को अशोक जुनेजा के सेवा विस्तार से पहले, सरकार ने अरुण देव गौतम को प्रभारी DGP बनाने के लिए नोटशीट भी तैयार हो रही थी, इससे पहले भारत सरकार ने जुनेजा के सेवा विस्तार के लिए प्रस्ताव मंगा लिया। ऐसे में यदि जुनेजा को सेवा विस्तार नहीं मिलता है, तो अरुण देव गौतम के नाम पर सरकार मुहर लगा सकती है।