छत्तीसगढ़ साप्ताहिक स्तंभ: वर्ष 2017 से सुकांत राजपूत द्वारा छत्तीसगढ़ की सियासत, नौकरशाही और खबरों के मुत्तल्लिक़ जरुरी मुद्दों पर अनवरत प्रकाशित साप्ताहिक स्तंभ बातों-बातों में… अलहदा अंदाज़ में परोसा जाता रहा है। कई इदारों में भीतरखाने की खबरों को अब शहर सत्ता साप्ताहिक समाचार पत्र और शहर सत्ता वेब पोर्टल पर भी आप के लिए इबारत पेश है…
राम लगाएंगे बेड़ा पार…
अयोध्या से लेकर रायपुर के राम मंदिर धाम का ऐसा इक्षापूर्ति प्रताप है कि यहां पैठ रखने वाले सभी की नैय्या पार लग रही है। रायपुर के VIP क्षेत्र मौलश्री से लगे राम मंदिर में दर्शन से जितना लाभ नहीं होता, उससे कहीं ज्यादा राम, लखन, वैदेही, हनुमान और सुग्रीव भवन में सटीक समय पर पहुंचने से हो रहा है। अयोध्या में संपत राय जी और उनके सहायक धर्मवीर की तूती बोलती है तो रायपुर के राम धाम में मंदिर के मुख्य कर्ता-धर्ता का सिक्का चलता है। फिर आगंतुकों को पार्टी में पद तो अफसर पदोन्नति के लिए श्रेणी, कार्य और वजनदारी के अनुपात में अपनी इक्षापूर्ति कर रहे हैं। बातों ही बातों में पार्टी सूत्र ने याद दिलाया कि डीजीपी की दौड़ में शामिल तीन अफसर फुल वर्दी में संघ कार्यालय में नंगे पैर इंतजार में बैठे थे और फोटो खूब वायरल हुई थी। इसलिए तब से अब राम, लक्षमण भवन में राम की क्षत्रछाया में पूर्णतः सुरक्षित व्हाइट कॉलर्स गोधूलि बेला से रात 12 बजे तक छत्तीसगढ़ के पॉवर सेंटर की भक्ति करते देखे जा सकते हैं।
सब यहीं के हो रहे…
छत्तीसगढ़ और खासकर राजधानी रायपुर की तासीर ही कुछ ऐसी है कि सब यहीं के होकर रह जा रहे हैं ! यहां कि आब-ओ-हवा है भी कुछ यूं कि फिर कोई कैसा भी हो उसे अपना लिया जाता है। चंद सालों में सीधे-सादे शहर ने बाहरी ठेकेदारों, IPS और IAS अफसरों से लेकर अपराधियों तक को पसंद आया है। रायपुर के बाशिंदों कारोबार की असीम संभावनाएं और हवा-पानी के साथ खान-पान के मद्देनजर यहां की पुलिस भी सीधी-सादी मानी जाती है। बस और क्या चाहिए, बाहरी गैंग भी यहीं पैबस्त हो गए हैं। अवैध हथियार, चंद लूटपाट, छुरेबाजी, अपहरण, हत्या, दुष्कर्म, सट्टा और बेइंतेहा नशा यूपी, बिहार, झारखंड की मानिंद आम है। बातों ही बातों में एक बेबाक वर्दीधारी ने बताया बहारी राज्यों के स्लीपर सेल की यही पनाहगाह है। अंदाज लगाना आसान है रायपुर पुलिस भी खुलासे के वक्त यही कहती है… बिहारी, झारखंडी, यूपी और तुर्रा यह कि बंगाली गैंग ने यह किया। समझ नहीं आता ये रायपुर है या बाहरी लोगों की आरामगाह ?
पत्तलकार दो फाड़…
इन दिनों क्राइम रिपोर्टिंग उतनी दिलचस्प नहीं रही जब सहीं मायनों में ख़बरें विवेचना का आधार बनती थी। समय पर पुलिस ब्रीफिंग, सीनियरों का साथी क्राइम रिपोर्टर्स को सीखाना-समझाना और नयों का शिद्दत से उसे अमल पर लाया जाता था।उस वक्त अपराधों की रोकथाम की समीक्षात्मक ख़बरों के लिए महकमे के अफसरों की आतुरता से अख़बारों का दोंदर भरता था। अब पत्तलकार गैंग अपना पेट पाल रहे है। समय बीता परम्पराएं टूटी और बचे-खुचे खबरनवीस भी पत्तलकार बनते दिख रहे है। तुर्रा यह कि इनकी बिरादरी भी दो फाड़ हो गई है। इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट, पोर्टल और तोपचंद ब्रांड वाली ब्रीड ही दरबारी की भूमिका में है। इसका नतीजा यह कि कोई खबर बनाकर भी व्यथित है और गैंग उसे अलग चलने के नाम पर उसका हुक्का-पानी बंद कर दे रहा है। वहीं अफसरों के चेहते पत्तलकारों के पास पूरी फुटेज, अंदरूनी जानकारी के बाद भी भापुसे. से खबर नहीं बनाने या उसे फेवर में पलटाने का नुस्खा हासिल बदनाम बिरादरी अंदर-बहार, जमीन विवाद से लेकर हर वह कमाई का जरिया बन चुकी है।
धमकी “मैं यहां से लडूंगा”…
सूबे में नगरीय निकाय का ऐलान हो चुका, नामांकन का दौर ज़ारी है। कांग्रेस भाजपा अभी अपने प्रत्याशियों के लिए सिर फुट्टवल से बचने के लिए एक सिस्टम बनाकर चुनाव की बात कह रही है। हालांकि इसके उलट कांग्रेस के एक निवर्तमान महापौर ने फ़िल्मी स्टाइल में अपने ही पार्टियों के प्रतिद्वंदियों को धमकी दी है। ख़बर है कि पहले निवर्तमान महापौर ने अपनी पार्टी से उन नेताओं को बुलवाया जो उनके पुराने वार्ड से सटा हुआ है। मीटिंग ली…चाय नाश्ता भी करवाया फिर…तुगलकी फरमान सुनाते हुए ये कहा कि “मैं महापौर हूँ…अब मुझे इस वार्ड से चुनाव लड़ना है…तो अपनी अर्ज़ियाँ वापस ले लें।” मीटिंग में इस बात को लेकर कुछ लोगों ने आपत्ति जताई और विरोध भी किया, पर जिला चयन समिति ने पूर्व सूबा-ए-सदर के ख़ासमख़ास का सिंगल नाम भेजकर पूरा खेल ही पलट दिया। इससे एक बात तो साफ़ है पीसीसी में आज भी वर्तमान से अध्यक्ष से ज़्यादा पूर्व मुखिया का सिक्का चलता है।