शहर सत्ता / नई दिल्ली। भारत से विदेश जाकर पढाई लिखाई करने वालें छात्रों की संख्या में गिरावट दर्ज़ की गई है। इस्सके पीछे की वज़ह विदेशी सरकारों द्वारा लगातार जारी किए जा रहे सख्त नियमों को बताया जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि इन सख़्त नियमों के कारण भारतीय छात्रों का विदेश जाने का रुझान कम हो रहा है, जिसकी वजह से विदेश जाने वाले छात्रों की संख्या में गिरावट दर्ज़ की गई हैं। एक मीडिया रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है।
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रिपोर्ट्स के मुताबिक इमिग्रेशन एक्सपर्ट का इस मामलें पर कहना है कि कनाडा में 40 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, वहीं यूके और ऑस्ट्रेलिया में 16-16 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है। कनाडा में निज्जर हत्या मामले के बाद से भारत और कनाडा के रिश्तों में खटास आई, जिस वजह से कनाडा सरकार लगातार नियमों में बदलाव कर रही है। हालांकि, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पद से इस्तीफा दे दिया है। फिर भी छात्रों का विदेश जाने का रुझान कम है।
एक्सपर्ट्स ने हाल ही में कनाडा सरकार द्वारा माता-पिता के वीजा पर रोक लगाने के मामले पर भी अपनी बात रिपोर्ट में कही है। उन्होंने कहा कि कुछ कैटेगरी है, जिसमें पीआर के लिए पहले पेरेंट्स वीजा अप्लाई कर सकते थे। ऐसे ही कुछ कैटेगरी हैं, जिसमें सुपर वीजा के जरिए पेरेंट्स लंबे समय तक बच्चों के पास रह सकते थे। इस मामले को लेकर अब कनाडा सरकार ने इस लंबे समय को कुछ कम किया है।
उनका कहना है कि कनाडा में हाउसिंग क्राइसेस (वित्तीय संकट) काफी ज्यादा है। इसी के चलते प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को भी पद से इस्तीफा देना पड़ा। कनाडा ने उतनी तेजी से खुद का विकास नहीं किया, जितनी तेजी से बच्चों को कनाडा बुलाने में कियाहै। कनाडा में जीडीपी ग्रोथ सहित कई बिजनेस में बढ़ोतरी होती है। कनाडा में लास्ट बजट की ओर ध्यान दें तो वहां पर हाउसिंग के ऊपर था और यह मुद्दा वहां पर काफी बड़ा मुद्दा देखने को मिला।
कनाडा जाने का रुझान काफी कम
कनाडा-भारत में आई दरार के चलते छात्रों के कनाडा जाने का रुझान काफी कम देखने को मिला। जिसके चलते भारी मात्रा में छात्रों ने स्थानीय कॉलेज में एडमिशन लेने का रुख किया। वहीं, पंजाब सरकार द्वारा बच्चों को नौकरी देने को लेकर कहा कि युवा हमारी पहचान हैं। अगर युवाओं की ओर ध्यान दिया जाए तो वह पंजाब में काफी बेहतर बदलाव ला सकते है। 1991 का रिकॉर्ड देखें तो पंजाब नंबर 1 पर था, लेकिन अब 18वें से 19वें नंबर पर पहुंच गया।
ऐसे में पंजाब और केंद्र सरकार अगर मिलकर काम करें तो बच्चों के लिए कुछ बेहतर बदलाव देखने को मिल सकता है। वहीं पंजाब के छात्रों से जब इस मामलें में बात की गई तो उन्होंने कहा कि विदेशों में लगातार नियमों में बदलाव होने के चलते वह अपने देश में रहना पसंद करेंगे। उन्होंने कहा कि विदेश में माता-पिता के आने पर रोक लगाई गई है। विदेश में हालत दिन ब दिन खराब हो रहे है, इसलिए वह विदेश नहीं जाना चाहते है।