शहर सत्ता / नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 2013 के बलात्कार मामले में मेडिकल आधार पर आसाराम बापू (Asaram) को अंतरिम ज़मानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि आसाराम सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश नहीं करेंगे और अंतरिम ज़मानत पर रिहा होने के बाद अपने अनुयायियों से नहीं मिलेंगे। जानकारी के मुताबिक कई दिनों से बीमार चल रहे आसाराम बापू ने अपना इलाज कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी दी थी। इलाज के लिए आसाराम को महाराष्ट्र भी ले जा गया था।
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सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम बापू (Asaram) को अंतरिम जमानत स्वास्थ्य कारणों के कारण आधार पर दी है, हालांकि इस दौरान कड़ी शर्ते भी लागू रहेंगी। आसाराम बापू अंतरिम जमानत की अवधि में अपने अनुयायियों से मुलाकात नहीं करेंगे। उच्चत्तम न्यायालय ने आसाराम बापू को 31 मार्च तक अंतरिम जमानत दी है। गौरतलब है कि आसाराम बापू 17 दिन की पैरोल खत्म होने के बाद छह दिन पहले ही राजस्थान की जोधपुर जेल में वापस लौटे थे। बीच में सूरत की लाजपोर जेल बंद उनके बेटे को गुजरात हाईकोर्ट ने बीमारी के चलते मिलने की अनुमति दी थी।
आसाराम को हुई है उम्रकैद
आसाराम (Asaram) को जोधपुर पुलिस ने 31 अगस्त 2013 को बलात्कार के मामले में गिरफ्तार किया था और तब से वे जेल में हैं। एक किशोरी ने उन पर जोधपुर के पास मणई गांव में स्थित उनके आश्रम में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की रहने वाली यह लड़की आश्रम में छात्रा थी। आसाराम बापू को इसके अलावा गांधीनगर की अदालत ने बलात्कार के मामले में सजा दी थी। इस मामले में आसाराम को सेशन कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने 2013 के बलात्कार मामले में मेडिकल आधार पर आसाराम बापू को अंतरिम ज़मानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि आसाराम सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश नहीं करेंगे और अंतरिम ज़मानत पर रिहा होने के बाद अपने अनुयायियों से नहीं मिलेंगे। pic.twitter.com/hJEH0kMG9Q
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 7, 2025
आसाराम के खिलाफ रेप का यह मामला साल 2013 में दर्ज हुआ था। पीड़िता के साथ रेप की वारदात साल 2001 से 2006 के बीच हुई थी। यह मामला अहमदाबाद के चांदखेड़ा थाने में दर्ज हुआ था। आसाराम पिछले साढ़े 11 साल से जेल में हैं। आसाराम के बेटे नारायण साईं के खिलाफ भी दुष्कर्म का केस दर्ज हुआ था। इस मामले में साईं को उम्रकैद हुई है। वह सूरत की जेल में बंद थे।