बातों-बातों में…मंत्री से ज्यादा साए का रुआब, ‘पॉवर सेंटर’ का पता चल गया…कैसे रहे दोनों डिप्टी CM बेखबर ?

छत्तीसगढ़ साप्ताहिक स्तंभ: वर्ष 2017 से सुकांत राजपूत द्वारा छत्तीसगढ़ की सियासत, नौकरशाही और खबरों के मुत्तल्लिक़ जरुरी मुद्दों पर अनवरत प्रकाशित साप्ताहिक स्तंभ बातों-बातों में… अलहदा अंदाज़ में परोसा जाता रहा है। कई इदारों में भीतरखाने की खबरों को अलहदा अंदाज़ में पेश करते रहने के बाद अब से शहर सत्ता साप्ताहिक समाचार पत्र और शहर सत्ता वेब पोर्टल पर भी इबारत पढ़ें…

मंत्री से ज्यादा साए का रुआब…

कृषि और एसटी, एससी, ओबीसी और अल्पसंख्यक विकास विभाग में वजीर से ज्यादा एक प्यादे का रुआब है। महकमें में खुलकर लोग बोलने भी लगे है….”बंगले से नहीं ऐश्वर्या रेसीडेंसी से नामुमकिन भी मुमकिन हो जाता है।” बातों ही बातों में हमारे कानों तक भी यह पहुंची तो मामले की तस्दीक करने बंगले पहुच गए। अफवाह सच साबित हुई। मंत्री से ज्यादा उनके साथ साए (परछाई) की तरह रहने वाला एक 50 से 52 साल का शख्स का रुआब दिखा। बंगले के गेट में एक संकेत भरे हॉर्न के बजते ही बिना सुरक्षा जांच के गाड़ी तेजी से अंदर आई। कार से मंत्री जी के पुराने एचएम स्कॉड की कमान सम्हालने वाला साया नीचे उतरा। तेज क़दमों से दफ्तर पहुंचते ही मंत्री के ओएसडी लोगों में प्रणाम करने की होड़ मच गई। धम्म से मंत्री के सोफे में बैठे शख्स ने आदेशात्मक अंदाज़ में वहां आए मुलाकातियों के सामने अफसर और स्टाफ को कुछ कहा और फिर सीधे अंदर चले गए। पड़ताल के बाद पता चला गृहमंत्री थे तब से लेकर अब एक बार फिर से राजेश भाई जी का ही सिक्का चलता है। यूं ही लोग नहीं कहते हैं “भाजपा के सदस्य ‘बनिये’ !”

‘पॉवर सेंटर’ का पता चल गया…

नेता, अफसर और मिडिया तक छत्तीसगढ़ सरकार में ‘पॉवर सेंटर’ की पतासाजी में थे। सालभर की खासी मशकत्त के बाद भी सब सरकार में पॉवर सेंटर तलाशते रहे। आखिरकार थक-हार कर कुछ लोग अमित शाह और जय शाह को छत्तीसगढ़ का पॉवर सेंटर बताते रहे। दो शाह का नाम सुनते ही ट्रांसफर, पोस्टिंग, निकाय की टिकिट से लेकर निगम, मंडल, आयोग और प्राधिकरण की चाह रखने वाले निराश हो गए थे। अब पॉवर सेंटर का भी पता चल गया है और लोगों के काम भी लाइनअप होने लगे हैं। नौकरशाहों से लेकर अपने फ़रमाइशी कामों के लिए लोग संगठन महामंत्री पवन साय के निवास से लेकर प्रदेश कार्यालय की दूसरी मंजिल तक दौड़ लगाते देखे जा सकते हैं। पार्टी के एक व्यापारिक सदस्य ने बातों-बातों में ही बोल दिया…पॉवर सेंटर का खुलासा संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ कार में बगल की सीट पर बैठते ही हो गया था। पवन साय बहुत ही समर्पित संगठन पदाधीकारी भी हैं और ‘साय’ भी हैं। अजय जामवाल, नितिन नबीन भी संगठन प्रमुख पर पूरा एतबार कर रहे हैं। यहां तक सुनने में आ रहा है कि विधानसभा चुनाव में ज्यादातर टिकिट इनकी ही पसंद से दी गई थी और जीत भी मिली। पॉवर सेंटर की एक और पहचान ‘सवन्नी’ यहीं पाए जाते हैं।

कैसे रहे दोनों डिप्टी CM बेखबर ?

बस्तर में सरकारी काम के एवज में खजाने से करोड़ों रुपए भुगतान होता रहा। अरुण साव के पास पीडब्लूडी है और विजय शर्मा के पास पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग। फिर भी एक बावर्ची एसपीओ बन गया, फिर कांग्रेसी और ठेकेदारी में करोड़ों कमाकर भाजपाई बनते ही अपनी करतूत छुपाने के लिए बेरहम कातिल बन गया। लेकिन दोनों डिप्टी CM कैसे बीजापुर ही नहीं बस्तर की इस गड़बड़ी से बेखबर रहे ? 56 करोड़ की सड़क का 112 करोड़ पेमेंट कर दिया गया। पहले भी दंतेवाड़ा में आरईएस द्वारा बिना सड़क बनाए पैसे भुगतान पर विधानसभा में बवाल मचा था। इस पर पंचायत मंत्री विजय शर्मा ने चार अफसरों को सस्पेंड करने का ऐलान किया था। अब पत्रकार मुकेश चंद्राकार हत्याकांड में पीडब्लूडी के अफसर निशाने पर हैं। कानूनविद और अनुभवी मंत्री अरुण साव नक्सल बेल्ट में होने वाले करोड़ों के कथित सरकारी कार्यों की सच्चाई से पर्दा कब तक उठाएंगे इसका जवाब वक्त के गर्त में है। हालांकि पत्रकारों और RTI एक्टिविस्टों के पास बस्तर में खर्चे गए सरकारी पैसों का कच्चा चिट्ठा है।

26 जनवरी के बाद आचार संहिता…

छत्तीसगढ़ में नगरीय निकायों के चुनाव की तैयारियां प्रशासनिक परंपरा के मुताबिक ठीक ही चल रही है। लेकिन हमेशा की तरह आचार संहिता को लेकर अटकलबाजों ने सभी को कन्फ्यूज कर दिया है। सबसे पहले कयास लगा 5 या 7 जनवरी को आचार संहिता लग जाएगी। ट्रांसफर-पोस्टिंग और मंत्री बैठकें तेज हो गई। फिर दिवाली, राज्योत्सव, सरकार का एक साल, अमित शाह का पखवाड़ेभर में दो बार दौरा और विधानसभा का शीतकालीन सत्र प्रशासनिक तंत्र को खासा व्यस्त रखा। इस दौरान फिर चर्चा में आचार संहिता की तारीख को लेकर हल्ला मच गया है कि 26 जनवरी को कुछ एलान करना पड़ा तो आचार संहिता की तारीख टलेगी। वैसे तो राज्य निर्वाचन आयोग ने नगरीय और पंचायत चुनाव की पुख्ता तैयारी के साथ ही मतदाता पुनरीक्षण का काम भी पूर्णता की ओर है। ऐसे में अगर मुख्यमंत्री 26 जनवरी को कुछ घोषणा करना चाहेंगे तो आचार संहिता 28 को लगेगी।

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