शहर सत्ता / रायपुर। छतीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव (Municipal Elections) के लिए कांग्रेस और भाजपा एक दूसरे पर तीखे तंज़ खास रही है। भाजपा ने जहां कांग्रेस में पूर्व महापौर और निवर्तमान सभापति की पत्नी को महापौर प्रत्याशी बनाने पर तंज़ कस दिया। वहीं कांग्रेस के इसका जबरदस्त पलटवार किया है।
प्रदेश के उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने कांग्रेस में मचे अंदरूनी घमासान पर कटाक्ष करते हुए कहा कि “कांग्रेस की हालत सबके सामने है। पिछले 5 दिनों में जो मंजर प्रदेशवासियों ने देखा है, उससे स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी में कैसी ऊहापोह और आपाधापी मची है, किस तरह से और कैसे प्रत्याशियों का चयन हो रहा है।”
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साव ने बग़ैर किसी प्रत्याशी का नाम लेते हुए कहा कि “यह कितनी दुर्भाग्यजनक बात है कि महापौर (Municipal Elections) जैसे पद के लिए कांग्रेस के पास जमीन पर काम करने वाली कोई कांग्रेस नेत्री नहीं मिली। अपने कार्यकर्ताओं की कैसी उपेक्षा और अपमान कांग्रेस पार्टी ने किया है, यह प्रत्याशियों का विश्लेषण करने पर साफ हो जाएगा। कम-से-कम महापौर के पद पर भी संगठन में, जनता के बीच काम करने वाले प्रत्याशी तक कांग्रेस लेकर नहीं आ पाई।”
प्रदेश के उप मुख्यमंत्री साव ने तंज कसते हुए कहा कि “कांग्रेस का कोई एमआईसी का मेंबर निर्दलीय चुनाव लड़ रहा है, कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं, बागी होकर चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस ने जो प्रत्याशी घोषित किए हैं, उसके खिलाफ लगातार नाराजगी के मामले आ रहे हैं। यह बताता है कि कांग्रेस पार्टी चुनाव के मैदान में जाने से पहले हार मान गई है। कांग्रेस नेताओं ने जनता का मूड समझ लिया है। जनता तो पूरी तरह कांग्रेस को सबक सिखाने के मूड में है।”
इधर डिप्टी सीएम अरुण साव के पत्रकार वार्ता पर सवाल उठाते हुए प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा है कि अपनी ही पार्टी के जनाधार वाले नेता और कार्यकर्ताओं के हक का गला घोटना, लिफाफा संस्कृति से प्रत्याशी तय करना ही भाजपा का राजनीतिक चरित्र है, अरुण साव अपनी पार्टी की चिंता करे। जगदलपुर में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के भतीजे सहित दर्जनों कार्यकर्ता, खैरागढ़ जिला उपाध्यक्ष, छुई खदान महिला मोर्चा मंत्री, बीजापुर, सुकमा, रायगढ़ सहित पूरे प्रदेश में भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं की व्यथा सर्व विदित है। भाजपा कार्यकर्ताओं का आरोप है कि चिरमिरी में भाजपा ने महापौर का टिकट जिसे बेचा है उसने पिछला चुनाव पार्टी के खिलाफ़ लड़ा था और कुल 4 वोट पाए थे, भाजपा कार्यकर्ताओं का इससे बड़ा अपमान और क्या हो सकता है? कार्यकर्ता पार्टी की रीड होते हैं, उन्हें गुलाम और पैडवर्कर समझना भाजपा नेताओं की भूल है, भाजपा के कार्यकर्ता आने वाले चुनाव में इन्हें सबक सिखाएंगे।
कांग्रेस ने किया पलटवार
इधर प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने डिप्टी सीएम के बयान पर पलटवार करते हुए कहा है कि किसी की पत्नी होना किसी भी तरह से अयोग्यता नहीं है, यह भाजपा की महिला विरोधी सोच का प्रमाण है। भाजपा की वर्तमान महापौर प्रत्याशी (Municipal Elections) भी जब पहली बार पार्षद चुनाव लड़ी थी तो वह अपने पति के पार्षद सीट के महिला आरक्षित होने के बाद ही उसी सीट पर लड़ी थी। कांग्रेस की महिला महापौर प्रत्याशी पिछले 10 वर्षों से न केवल पार्टी की गतिविधियों में सक्रिय है बल्कि समाज सेवा के क्षेत्र में उनका अमूल्य योगदान रहा है। सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक गतिविधियों में विगत दो दशकों से सक्रिय भागीदारी रही है। भाजपा नेताओं की तरह झूठ और लफ्फाजी नहीं, बल्कि शहर में उनकी अपनी शख्सियत है, विश्वसनीयता है।